THE BASIC PRINCIPLES OF BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

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जातवेद-मुखीं देवीं, देवतां प्राण-रूपिणीम् । भजेऽहं स्तम्भनार्थं च, चिन्मयीं विश्व-रूपिणीम् ।।

This mantra shouldn't be utilised as an experiment or on an innocent man or woman, normally, you'll need to go through the results.

Chandramouleshwara temple has two shiva lingas away from that one of these could be the ‘Chaturmugha Linga’ and that is the four confronted Shiva linga, on the list of attributes that make the temple jump out among the the different Lord Shiva temples from the state.

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥

Over time, a variety of saints and spiritual masters additional enriched the Shabar mantra custom. They gathered and compiled these mantras, as well as their collections grew to become known as 'Shabar Vidya', or perhaps the understanding of Shabar mantras.

इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती website है। मन्त्र इस प्रकार है

नानाभरण-भूषाढ्यां, स्मरेऽहं बगला-मुखीम्।।

जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा

गर्वी खर्वति, सर्व-विच्च जड़ति त्वद्-यन्त्रणा यन्त्रितः ।

श्री बगला-ध्यान-साधना ( पीताम्बरा ध्यान मंत्र )

Bagalamukhi is understood by the favored epithet Pitambara-Devi or Pitambari, “she who wears yellow garments”. The iconography and worship rituals consistently confer with the yellow coloration.

ऋषि श्रीनारद द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

Since the temple was created in an evening, and as the artisans couldn’t end the whole function in one evening, the temple framework is incomplete. Unlike other temples, the temple doesn’t Possess a gopura.

शत्रोर्जिह्वां च खड्गं शर-धनु-सहितां व्यक्त-गर्वाधि-रूढां ।

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